17 अक्टूबर (मंगलवार) को धनतेरस का पर्व मनाया
जाएगा। धनतेरस पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर
लग्न होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान धनतेरस पूजा की जाए तो
लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है।
दिनांक 17 अक्टूबर 2017 को सायं 7.20 पर वृष लग्न है। इसे स्थिर लग्न माना
गया है और दीवाली के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है। अतः
धनतेरस की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07:20 से लेकर 08:17 के बीच तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में
पूजा करने से धन, स्वास्थ्य और आयु बढ़ती है।
धन त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ
था इसीलिए इस दिन को धन तेरस के रूप में पूजा जाता है। दीपावली के दो दिन पहले आने
वाले इस त्योहार को लोग काफी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन गहनों और बर्तन की खरीदी
जरूर की जाती है। धनवंतरि चिकित्सा के देवता भी हैं इसलिए उनसे अच्छे स्वास्थ्य की
कामना की जाती है।
देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन
शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान
त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी कहा जाता
है। धन और वैभव देने वाली इस त्रयोदशी का विशेष महत्व माना गया है।
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय बहुत ही
दुर्लभ और कीमती सामग्री निकली थी। इसके अलावा शरद पूर्णिमा का चंद्रमा,
कार्तिक
द्वादशी के दिन कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि और कार्तिक मास की
अमावस्या तिथि को भगवती लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था। यही कारण है कि
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन और उसके दो दिन पहले त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि का
जन्म दिवस धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।
भगवान धन्वंतरि को प्रिय है पीतल
भगवान धन्वंतरि को नारायण भगवान विष्णु का ही
एक रूप माना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख और
चक्र धारण किए हुए हैं। दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं।
ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है इसीलिए पीतल भगवान धन्वंतरि
की प्रिय धातु है।
चांदी खरीदना शुभ
धनतेरस के दिन लोग घरेलू बर्तन खरीदते हैं,
वैसे
इस दिन चांदी खरीदना शुभ माना जाता है क्योंकि चांदी चंद्रमा का प्रतीक माना जाता
है। चन्द्रमा शीतलता का मानक है।
मान्यता के अनुसार धनतेरस
मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु
शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है। लेकिन अगर भगवान की प्रिय वस्तु
पीतल की खरीदी की जाए तो इसका तेरह गुना अधिक लाभ मिलता है।
क्यों है पूजा-पाठ में पीतल का इतना महत्व?
पीतल का निर्माण तांबा और जस्ता धातुओं के
मिश्रण से किया जाता है। सनातन धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक कर्म हेतु पीतल के
बर्तन का ही उपयोग किया जाता है। ऐसा ही एक किस्सा महाभारत में वर्णित है कि
सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षय पात्र वरदानस्वरूप दिया था जिसकी विशेषता थी
कि द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दें, खाना घटता नहीं था।
यम की पूजा का भी विधान :
धनतेरस
के दिन कुबेर के अलावा देवता यम के पूजा का भी विधान है। धनतेरस के दिन यम की पूजा
के संबंध में मान्यता है कि इनकी पूजा से घर में असमय मौत का भय नहीं रहता है।
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